इतिहासपुरुष की प्रामाणिकता


रामायण की प्रामाणिकता को लेकर भले ही इस देश की कर्तव्यच्युत सरकारें कुछ भी कहती रहें किंतु प्रश्न यह है कि एक कथा-चरित्र मात्र घोषित किया जाने वाला नायक भला इतना कीर्तिवान् कैसे हो गया कि कंबोडिया, इन्डोनेशिया, लंका, थाईलैंड, मलेशिया, भूटान, भारत, बर्मा, सिंगापुर व और भी इसी प्रकार १०-१५ देशों की सांस्कृतिक धारा में महानायक की भाँति इतिहास पुरूष के रूप में विद्यमान है।

जिन दिनों भारत में क्षुद्र व संकीर्ण स्वार्थों में लथपथा कर इतिहास को झुठलाने की अगड़म बगड़म व साजिशें चल रही थीं, घोषणाएँ हो रही थीं, उन दिनों श्रीलंका सरकार ने दिल्ली में प्रेस कांफ्रेंस कर के एक सी डी जारी की थी और अपने यहाँ रामायण की इतिहासमत्ता की प्रामाणिकता की घोषणा की थी। इस सन्दर्भ में जो सी डी व स्थलों के चित्र जारी किए गए उनमें से कुछ की बानगी यहाँ देखी जा सकती है।




चित्र विवरण निम्नानुसार है - ( अच्छा हो कि सभी चित्रो पर क्लिक करके बड़ा कर देखें, विशेषत: संजीवनी वाला चित्र जहाँ आज भी दुर्लभ औषधियाँ उपजती हैं । )


१ - अशोक वाटिका ( जहाँ रावण ने सीताजी को रखा था )

२ - हनुमान द्वारा जलाया गया रावण - महल

३ व ४ - सुग्रीव की गुफा के कुछ चित्र

५ - इसे संजीवनी पर्वत कहा जाता है जहाँ से संजीवनी-वटी लाई गई

६ - पानी में तैरते शिलाखंड

७ - रामसेतु का एक चित्र




























2 टिप्‍पणियां:

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